Book Details
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Title |
Palamoli Nanuru -Hindi Translation |
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Translator |
Dr. P. K. Balasubrahmanyan |
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Publisher |
Chennai: Central Institute of Classical Tamil |
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Publish Year |
2024 |
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Language |
Hindi |
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Book ISBN |
978-81-975952-0-2 |
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Number of Pages |
282 |
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Book Price |
Rs.500.00 |
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About the Book:- |
पळमोळि नानूरु (कहावत चतुश्शती) - इस ग्रंथ की रचना कवि मुत्डुरअरैयतार् ने की है। जैन धर्म के इस कवि का जमाना ई. पाँचवी सदी माना जाता है। इस ग्रंथ में ईश्वरोपसना के साथ कुल मिलाकर चार सौ नैतिक पद्म होते हैं। हर पद्म के अंत में एक मुहावरे (पक्रमोंकि) का प्रयोग होने के कारण इस ग्रंथ का नाम भी ऐसा पड़ा। ऐसा कह सकते हैं कि लोक साहित्य के एक अंग के रूप में माने जाने वाले मुहावरों को संकलित करने वाले प्रथम ग्रंथ के रूप में इसे मान सकते हैं। तत्कालीन समाज में प्रयुक्त विभिन्न मुहावरों को पद्म के अंत में पाकर यह ग्रंथ उत्तम नैतिक तथ्यों को बताता है। तमिल के महान नैतिक ग्रंथों की श्रृंखला में तिरुक्कुरळ् और नालडियार् के बाद इस ग्रंथ का स्थान माना जाता है। इतना ही नहीं इस ग्रंथ में अनेक ऐतिहासिक सत्य भी प्रकट किये गये हैं। साथ ही तीनों शासक चेर, चोळ और पाण्डिय से संबन्धित विषय, महान दानी के बारे में, पुराण की कहानियों के कुछ विषय आदि भी इसमें बताये गये हैं। कज़रिन्तार् कण्ट अटक्कम् अरियातार् पोशान्तु तम्मैप् पुकक्रन्तुरैप्पार् - तेल अरैकल् अरुवि अणिमलै नाट निरैकुटम् नीर्तकुम्पल् इन्। (9) पर्वतों से गिरते झरने भरे हे कुरिंजी प्रदेश नायक अध्ययनीय ग्रंथ-अध्येता बिद्वान नहीं त्यागेंगे अपना संयम भूलकर भी न कर लेंगे आत्मप्रशंसा न होंकेंगे अपनी डींग न मचाएँगे शोर ही। लबालब भरा जलकुंभ न मचाएगा शोर न छलकने देगा जल ही |