Book Details
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Title |
Iraiyanar Kalaviyal -Hindi Translation |
Translator |
Dr. K. Ramanadhan |
Publisher |
Chennai: Central Institute of Classical Tamil |
Publish Year |
2024 |
Language |
Hindi |
Book ISBN |
978-81-974289-2-0 |
Number of Pages |
82 |
Book Price |
Rs.150.00 |
About the Book:- |
– इरैयनार् कळवियल् इरैयत्तार् कळवियल् ग्रंथ को उसके टीकाकार नक्कीरर् मूल ग्रंथ घोषित करते हैं। लेकिन विद्वत जन इसे एक स्रोत ग्रंथ मानते हैं। उनका विचार है कि यह ग्रंथ तमिल के मूल ग्रंथ तौल्काप्पियम् का स्रोत ग्रंथ है। तोल्काप्पियम् के अनेक पद्मों में 'कहेंगे', 'कथन है', 'कहते हैं' आदि शब्दों का प्रयोग हुआ हैं। उसी प्रकार का प्रयोग इस ग्रंथ में भी मिलता है। इतना ही नहीं इसमें तोल्काप्पियम् के चरण तथा उसके तथ्यों का अनुशीलन भी देखने को मिलते हैं। इसलिए पंडित लोग ऐसे निर्णय पर आते हैं कि यह एक स्रोत ग्रंथ है। तौल्काप्पियम् में अगप्पोरुळ् खंड के आंतरिक प्रेम भाव अध्याय, गुप्त प्रेम अध्याय, दाम्पत्य प्रेम अध्याय, अर्थ अध्याय आदि चारों में आंतरिक प्रेम के बारे में विस्तार से बताया गया है। ऐसी दशा में हमारे मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि इस प्रकार तौल्काप्पियम् में पहले ही विस्तार से बतायी गयी बातों को पुनः बताने के रूप में नए ग्रंथ की ऐसी क्या आवश्यकता हुई? इसका जवाब टीकाकार नक्कीरर् अपनी टीका में उल्लेख करते हैं। उनका विचार है कि पांडिय राजा और संग के अन्य पंडित इस बात पर दुखित थे कि तमिल के व्याकरण में अर्थ पर कोई ग्रंथ उपलब्ध नहीं है। उनकी इस वेदना को दूर करने के विचार से भगवान शिव ने इस ग्रंथ की रचना की। |