Book Details
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Title |
Iniyavai Narpatu -Hindi Translation |
Translator |
Dr. P. K. Balasubrahmanyan |
Publisher |
Chennai: Central Institute of Classical Tamil |
Publish Year |
2024 |
Language |
Hindi |
Book ISBN |
978-81-975737-0-5 |
Number of Pages |
58 |
Book Price |
Rs.150.00 |
About the Book:- |
इन्नियवै नार्यदु (मधुर चालीस) इत्तियवै नापदु भी परवर्ती ग्रंथों में एक है। प्रस्तुत ग्रंथ हमें समझाता है कि जीवनयापन करने के लिए किन-किन तत्वों का अमल करना है ताकि आनंद व चैन से हम जी सकें। दूसरे शब्दों में, इस ग्रंथ में सुखी जीवन के आवश्यक तथ्यों का उल्लेख हुआ है। तिरुक्कुरळ् और नालडियार् के समान इस ग्रंथ में भी नैतिक व आदर्श विचार कूट-कूट कर भरे पडे हैं। इत्ता नार्पद् याने अमधुर चालीस के जैसे इस ग्रंथ की भी, ईश्वर-वंदना के अलावा 40 चौपाइयाँ हैं। उनकी प्रत्येक पंक्ति का विषय या नीति अलग है। उन पद्मों की पंक्तियों में, न पूर्वापर संबंध है न पचों के बीच। इनमें जो प्रतिपादित विषय हैं वे सुखद या सुखदायी कहे गए हैं। इसके रचयिता हैं विख्यात मदुरै के तमिळ शिक्षक के पुत्र वृतञ्चेन्दतार्। स्पष्ट है चेन्ततार् इनका नाम है भूतन इनके पिता हैं। उनका नाम भी कवि ने अपने नाम से जोड़ लिया है। अगर इसकी तुलना इत्ता चालीस से करें से करें तो मालूम होगा कि दोनों ग्रंथों का आशय एक है। पर यह ग्रंथ सकरात्मक है। यह कृति भी ईश्वर-वंदना से शुरू होती है। उसके बाद चालीस पद प्रदत्त हैं। |