Book Details
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Title |
Paripatal -Hindi Translation |
Translator |
Dr. P. K. Balasubrahmanyan |
Publisher |
Chennai: Central Institute of Classical Tamil |
Publish Year |
2024 |
Language |
Hindi |
Book ISBN |
978-81-970851-8-5 |
Number of Pages |
328 |
Book Price |
Rs.500.00 |
About the Book:- |
परिपाडल् ऐटुत्तोंगै ग्रंथों में आंतरिक और बाह्य मिश्रित ग्रंथ है परिपाडल्। तमिल के चार प्रधान छंदों को याने वेण्पा, आसिरियप्पा, वंजिप्पा, कलिप्पा आदि को अपने में स्थान देने के कारण इसका नाम ऐसा पड़ा। इसमें पद्मों के न्यूनतम चरण 20 और अधिकतम चरण 400 हैं। इसके पद्म तेरह कवियों से रचित हैं। इसके पद्मों को नल्लच्बुदतार्, नागतार् आदि ने राग बनाया है। इस ग्रंथ को इसैप्पाट्टु याने रागात्मक पद्य भी कहते हैं। एक प्राचीन चौपाई का उल्लेख है कि इस ग्रंथ में 70 पद्य थे। लेकिन विष्णु पर 6 पञ्च, सेव्वेळ पर 8 पद्य, वैयै पर 8 पद्य आदि कुल मिलाकर 22 पद्म प्राप्त हुए हैं। अन्य आदुप्पडै ग्रंथों में देखा जाता है कि पुरस्कार प्राप्त एक व्यक्ति, अन्य व्यक्ति को पुरस्कार प्राप्त कराने के लिए एक राजा या दानी के पास भिजवाने के रुप में रचित हैं। इस ग्रंथ की अनोखी विशेषता यह है कि ईश्वर की दया प्राप्त एक अप्राप्त एक को उसकी ओर भिजवाने के रूप में रचा गया है। हर पद्म के अंत में पद्म रचे कवि का नाम, राग बनाये का नाम आदि का उल्लेख है। |